उसकी रजा में रहना, जीवन में खुशियां भर सकता है: बाबाजी
Radha Soami Satsang Beas- बाबाजी फरमाते हैं सच्चे परमात्मा से अपनी प्रीत लगाये रखनी है। न की अच्छा समय आने का इंतज़ार करना है। गुरु संग की गई यही प्रीत और परतीत अंत समय तक साथ निभायेगी। इसलिये उठते-बैठते, सोते-जागते दुनियाँ के काम करते हुवे लिव सतगुरु से लगाये रखो।
मालिक की मौज,उसकी मर्जी!!
यह एक पंक्ति हमारे जीवन को सुख और शांति की ओर ले जा सकती है। हम कितना भी चाहें कि यह ऐसे हो या वैसे हो। लेकिन आखिरकार जिंदगी में परमात्मा की मर्जी से ही सब कुछ होता है। हमारी मर्जी से नहीं। हमारे लिए चुनौती यह है कि हम इसे अच्छा मानकर खुशी से मंजूर करें। यही सुखी जीवन का मूलमंत्र है। जीवन मे जो भी मिला, जितना भी मिला बस!! सम्पूर्ण अहोभाव! सदा शुकराना!!

किसी जिज्ञासु का प्रश्न, संत का जवाब
एक संत से मुलाक़ात हुई, तो जिज्ञासु ने प्रार्थना की- जिंदगी की कोई सच्ची सीख दीजिये मुझे।
उन्होंने सवाल किया- कभी बर्तन धोये हैं ?
जिज्ञासु ने हैरान होकर कहा- जी धोये हैं। पुछा- क्या सीखा ? जिज्ञासु ने कोई जवाब नही दिया।
वो मुस्कुराये और कहा “बर्तन को बाहर से कम और अंदर से ज्यादा धोना पड़ता है। बस यही जिंदगी है। इस सीख को जिसने समझा, इस पर अमल किया वो पार उतर गया।
जो भी हो रहा है वह हमारे कर्मो का ही परिणाम
रोज-रोज ‘भजन-सिमरन’ करने से, धीरे-धीरे हमारे अंदर इतनी ‘सहनशीलता’ आ जाती है, कि हम बिना संतुलन खोए, जीवन में आनेवाले ‘उतार-चढ़ाव’ का सामना करने लगते हैं। हमें इस बात का ‘ज्ञान’ होने लगता है, कि जो कुछ भी हो रहा है, वह हमारे ‘कर्मों’ के अनुसार ही हो रहा है, और ‘परमात्मा‘ हमेशा हमारे अंग-संग हैं। अब इससे बडी दात और सतगुरु क्या बख्शेंगे।
।। राधास्वामी ।।
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