नामदान से मुक्ति संभव नहीं अगर यह नहीं किया!
Radha soami- बाबाजी अपने सत्संग में बहुत बार समझाते हैं कि भाई नामदान लेने से मुक्ति संभव नहीं है। अगर यह काम नहीं किया। नामदान लेने से कोई परमात्मा के द्वार नहीं खुल जाते। क्योंकि वहां जाने के लिए हमें नामदान पर अमल भी करना जी, उसकी भक्ति भी करनी जी। रही बात सत्संग की जब भी हमें अवसर मिले हमें सत्संग में जाना चाहिए।

गुरु जी हमें हमेशा रूहानियत के रास्ते पर चलने की हिदायत देते रहते। क्योंकि रूहानियत एक ऐसा रास्ता है जिस पर चलने से हमें कष्ट जरूर होता है लेकिन यह रास्ता हमें अपने असल घर पहुंचा सकता जी। परमात्मा से मिला सकता जी। बिछड़ी हुई आत्मा को परमात्मा से मिला सकता जी। इसलिए हमें कभी भी छोटी-बड़ी मुसीबतों को दरकिनार करते हुए नामदान की युक्ति पर अमल करते हुए आगे बढ़ते रहना है। क्योंकि हम नामदान की भक्ति करेंगे, अमल करेंगे तो परमात्मा हमारे लिए उसे रूहानियत के रास्ते को और आसान बना देते हैं।
सत्संग में जाते हो तो उस पर अमल भी किया करो
बाबाजी हमें चेताते रहते हैं कि भाई सत्संग में जाते हो तो उस पर अमल भी किया करो। क्योंकि बिना अमल के कुछ हो नहीं सकता। जैसे अगर हम हलवा बनाने की विधि को पढ़ ले और उस पर अमल ना करें। तो उससे हमारी भूख नहीं मिटने वाली। वह भूख तब मिटेगी। जब हम उस विधि के अनुसार काम करेंगे। इसी तरह हमें गुरु के बताए गए रास्ते पर चलना जी। उनकी बताई गई बातों पर अमल करना जी। तब कहीं जाकर हम अपने असल मकसद में कामयाब हो सकते हैं।
हम यह कार्य सिद्ध कर सकते हैं
इसीलिए संत-महात्मा फरमाते रहते हैं कि भाई सेवा करो, सुमिरन करो और अपने निजघर पहुंचों। निजघर का मतलब है परमात्मा के घर, परमात्मा के चरणों में मिल जाना। क्योंकि हमारी आत्मा जन्मों-जन्मों से यहां माया के जाल में फंसी हुई हैं। जिसको हम नामदान की युक्ति के द्वारा आत्मा को आजाद करा सकते हैं और यह अवसर हैँ। हमारे पास जिससे हम यह कार्य सिद्ध कर सकते हैं। तो आइए! हम अमल करें, सुमिरन करें, नामदान की भक्ति करें और आवागमन के इस चक्कर से छुटकारा प्राप्त करें। परमात्मा को प्राप्त करें।
।।राधास्वामी।।
- परमात्मा को पाना कोई मुश्किल नहीं, बस ये काम करें : संत
- बाबाजी की ये बात शायद बहुत लोग नहीं समझ पाएं। क्या आप समझ पाये?
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- नामदान से मुक्ति संभव नहीं अगर यह नहीं किया!