भजन-सुमिरन की शक्ति के बारे मे बताया एक नामदानी सत्संगी ने

Radha soami: भजन-सुमिरन में कितनी ताकत होती जी। यह हम नहीं जानते, मगर कोई तो ऐसा होगा जो हमें इसके बारे में समझा सके। बाबा जी हमें बार-बार समझाते रहते हैं कि भाई भजन-सुमिरन करो। क्योंकि भजन-सुमिरन ही है जिसके द्वारा हम इस माया के जाल से आजाद हो सकते हैं। जिस व्यक्ति को नामदान मिला जी। वो उस पर अमल करेगा तो महसूस होगा कि नाम की शक्ति क्या जी।

बाबाजी

सेवा से घर मे रहने लगी शांति

मुझे सत्संग मे एक सेवादार मिला। कुछ समय उसके साथ बताने को मिला। उस सेवादार ने अपने बिते हुये समय के बारे में बताया। उन्होंने बताया की में पहले सत्संग नही जाता था। परन्तु मेरे ताऊ जी के परिवार से सभी सत्संग जाते थे। तो मेरी पत्नी भी कभी कभी सत्संग जाया करती थी। और जब भी सत्संग सेंटर मे सेवा का मौका मिलता तो वो सेवा भी किया करती थी। कई बार मुझे उस पर गुस्सा आता था। की घर का काम कौन करेगा। बच्चों को कोन खाना देगा। और भी कई बातों को लेकर घर में अनबन रहती थी।

मगर वो अपनी सेवा कभी कटौती नही करती थी। वो अपनी सेवा में लीन रहती थी। कई बार तो ऐसा हुआ की पुरा-पुरा दिन सेवा मे निकल देती थी। मुझे गुस्सा तो बहुत आता था। परन्तु मैं बोल नहीं पाता था। जब मुझे गुस्सा था तो बोल क्यों नही पाता था ये मुझे बहुत देर से पता चली। ये सब बाबाजी की कृपया से हि हो रहा था। क्योंकि मुझे भी तो अपनी शरण मे लेना था।

जब मुझे नामदान मिला

अक्टूबर 2012 की बात है। जब बाबाजी का सत्संग प्रोग्राम था दिल्ली डेरे में। मेरी पत्नी और ताऊ जी का परिवार और भी कई सत्संगी भाई बाबाजी का सत्संग सुनने हुए थे। मेरे गाव से जितने भी सत्संगी जीव थे वो 3 दिन डेरे म हि रुकते थे। तो मैं किसी कारण हि नहीं गया। वैसे मेरा मन भी नहीं था सत्संग जाने का। शुक्रवार का दिन था। जब बाबाजी सत्संग खत्म हुआ तो मेरे किसी भाई का फोन आया। बोला! भाई कल नामदान की पर्ची कटेगी जोड़े से तो आप आ जाना। मुझे गुस्सा आया। मैने बोला जा तेरे बाबा मे शक्ति होगी तो बुला लेगा।

अगले दिन मै पहुँच गया सत्संग।

फिर मैं अगले दिन पहुँच गया बाबाजी के सत्संग घर। फिर जो हुआ मैं आज तक समझ नहीं पाया की कैसे बाबाजी ने मुझे बुलाया और नामदान की बक्सीश की। आज मैं बाबाजी का बहुत शुक्रगुजार हूँ की मुझे इस लायक समझा। और अपने चरणों म जगह दी।

।।राधास्वामी।।

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