बाबाजी की ये बात शायद बहुत लोग नहीं समझ पाएं। क्या आप समझ पाये?

Radha Soami : संतों का हमेसा एक ही उपदेस रहा है। की परमात्मा की प्राप्ति करो, उसका सिमरन करो। क्योंकि मनुष्य जन्म मिला है ये बार-बार नहीं मिलने वाला। और परमात्मा को हम इसी मनुष्य जन्म के दौरान ही प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन हम कभी इस बात पर विचार ही नहीं करते। हम दुनिया के मोह माया में फसें हुए है। अब कैसे इस बात पर अमल किया जाये।

बाबा गुरविंद सिंह ढिल्लों

मायाजाल से निकलना कैसे हो?

हमें सतसंग में बार बार समझाया जाता है की हमें अपने असल काम की तरफ ध्यान देना चाहिए। हमें किस काम के लिए ये मनुष्य जन्म मिला है। हमें दुनिया के सभी काम करते हुए उस परमात्मा की भक्ति भी करनी है। लेकिन हम मोहमाया में इतना उलझ गये की कभी हमारा परमात्मा की तरफ भूले से भी ध्यान नहीं जाता। हमें ये अंतिम अवसर मिला है जिससे हम इस माया के जाल से निकला सकते हैं । अगर इस अवसर का आप फायदा नहीं उठा पाते तो पता नहीं फिर कब ये मनुष्य चोला मिले।

अब बात आती है हम ऐसा क्या करें की हम मोहमाया के जाल से छुट जाएँ। हमें किसी गुरु की खोज करनी है। गुरु के द्वारा हि हम मायाजाल के बंधन से छूटने का रास्ता प्राप्त कर सकते हैँ।

गुरु बिन कोई न उतरे पार

ये हम सब भलीभाती जानते है को बिना किसी जानकर के हम कोई भी काम नहीं सीख सकते। इसके लिए हमें किसी गुरु की आवश्यकता पड़ती है। तो अब ये बात भी सिद्ध हो जाती है की बिना गुरु के हम इस कार्य को नहीं कर सकते।

बाबाजी समझते हैं की भाई गुरु बिन कोई न उतरस पार। मतलब की बिना गुरु से युक्ति प्राप्त के हम कुछ भी हासिल नहीं कर सकते। हमें रूहानियत के रास्ते पर चलना की तो पूर्णगुरु की शरण में जाना होगा। गुरु के हुक्मानुसार करनी करके हम नामदान की युक्ति प्राप्त कर सकते हैं । जो हमारे मन और मायाजाल के बंधन से आजाद करके अपने निजघर के दरवाजे खोल देता है।

अब बारी भजन-सुमिरान की

बाबाजी बार-बार सत्संग में फरमाते हैं की हमें सुमिरन पर जोर देना चाहिए। क्योंकि हमारा और कोई साथ नहीं देता। जीवन में बस सुमिरन हि हमारा साथ देता है। अंत समय सभी अपने यार-दोस्त, सगे-संबंधी कोई साथ नहीं देता। हमने ये भी देखा है की थोड़ा सा दुख अपने जीवन में आ जाता है तो सब किनारा कर लेते है। ये तो रूहानियत की बात है। इसलिए गुरु से प्राप्त नामदान की ताकत को पहचानो। उसकी अहमियत को समझो और भजन – सुमिरन पर जोर दो। ताकि हम असल घर में पहुँच जाएँ। और सदा सदा के लिए दुखों के बंधन से आज़ाद हो जाये।

।।राधास्वामी।।

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