मुक्ति के लिए भजन सुमिरन ही दवाई। पढ़ें
सूरमा वही है, मन और इंद्रियां जिसके वश में है। क्योंकि अंदर तरक्की उसी मात्रा में होगी जिस मात्रा में
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